Thursday, May 10, 2012

एक पैगाम ..तुम्हारे नाम






दिल की खुशियों में शरीक हो तुम ..
हर दर्द का मरहम हो तुम 
साधों को पंख मिले हैं तुमसे ..
सपनो को जीने की प्यास जगी है 
हौसले जिंदा हैं तुमसे..
उम्मीदें भी इसलिए सांस ले रही हैं कि तुम साथ हो .
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कांधों  पर जब तुम्हारा हाथ महसूस किया तो लगा सारा आसमान खुल गया है ...उड़ सकते हैं हम साथ साथ ...........................जब हाथ पकड़ा तुमने तो नंगे पाँव जलते मरुस्थल पार कर लिए .........................खुशियों के तिनके ऐसे बांटे जैसे खज़ाना बांटता हो कोई .साथ मिल के छोटी सी खुशी से भी कायनात भर दी ..एक बार नहीं जाने कितनी बार ....................................................
मेरे  दर्द के आँचल की कोर में जब तुमने अपने दर्द की कोर बांधी तो दर्द बढ़ा नहीं ..कितना हल्का हो गया ......
...............सुनो _____ यूँ ही साथ रहना हरदम  :)