"वही रास्ते ...वही रहगुज़र ...वही मरहले ..वही कारवां .......
वही मोड थे ...कुछ खड़े हुए ...वही मुन्तजिर सी मेरी नज़र
थे उसी मुकाम पे कदम मेरे...जहां खो गए थे तुम कभी............."
उन सब दोस्तों के नाम ...मेरा पैगाम
जो आज साथ नहीं हैं .....
जाने कितने लम्हे समेट लाई हूँ अपनी बाँहों में ...
सबको सहलाऊंगी..स्पर्श से जिलाऊंगी ...
इसी बहाने जी जाऊं, शायद !
आज से आपकी आवाज़ का फैन हो गया हूँ।
ReplyDeleteइस रचना को सुनते हुए पाठक भी रचना मे डूब सा जाता है।
बेहतरीन।
सादर
आप भी आवाज़ के बादशाह हैं जनाब ...सराहना का शुक्रिया
DeleteThis is awesome..
ReplyDeleteoh! Thanx jismiel
Deleteहम्म ! इंतज़ार वैसा ही रहता है ....चाहे जुम्बिश खो भी जाए |.....एक ही लम्हा साथ साथ जी सकें !किस चीज़ को अधिमान दूं ...तुम्हारा लिखा भावुक करने वाला ,पर बहुत पुख्ता | आवाज़ मखमली ,रेशमी ,शरबती जो तुम्हे अच्छा लगे कहा हुआ ,मेरे लिए तीनों एक साथ ....|
ReplyDeleteदीपक जी ..भावों को आप सा निरूपित करने वाला जब तारीफ़ करता है तो सच...यही कहने को जी करता है
Deleteयारों का शुक्रिया ...मोगाम्बो खुश हुआ
ummmm, bahut ruhani aur nazuk shishe si awaz hai apki aur jin yadon me aap le ja rahi hain wo kamaal hai, "khat pe piroye tumhare shabd aur mahkati baton ka koi katra wahan gir gaya ho shayad" bahut ruhani
ReplyDelete.एक फिल्म क्रिटिक की सराहना है ये ...अच्छा लगा ये जान कर कि बातें रूहानी हैं ..यानी कि सुकून मिला होगा सुन कर ...बहुत शुक्रिया
Deleteनिःशब्द हूँ !
ReplyDeleteतुम्हारा लिखा यूँ तो हर बार अभिभूत करता है मुझे .....पर इस बार तो आकंठ डूबीं हूँ तुम्हारी अभिव्यक्ति में....
सचमुच एक दुर्निवार , अरोध्य सा सम्मोहन होता है तुम्हारे शब्दों में.....शायद इसलिए की जब-जब जो-जो लिखती हो ...मन का जिया-भोगा ही लिखती हो .... निःसत्व आधारहीन कल्पना का कुछ भी नहीं होता उनमें !...
तुम्हारे शब्द खींचतें नहीं हैं मन को !....
वे तो हौले-हौले उतरते हैं....आँखों से मन में...और मन से सीधे आत्मा की अतल गहराइयों में.... जहाँ अँकुआते हैं नए अर्थ ...नए अभिधेय !
स्मृतियों की पीड़ा में भी उन्माद और माधुर्य तुम सा ही कोई ढूँढ सकता था....क्योंकि तुम वो हो जिसकी प्रीत के आग्रह के आगे नियति भी झुकती है !
पर इस बार ..... तो अनर्थ ही हो गया....
तुम्हारे स्वर ने ...तुम्हारे शब्दों को नए आयाम दे दिए...
स्वर ; कि जैसे कोई सैलाब आये और ले जाए आपको अपने आवेग में......और आप बहने लगें उनमें...अभिमंत्रित ....विमोहित से !
तुम्हारे सुकंठता तो जानी बूझी है मेरी......पर उसी स्वर में तुम्हारी ही कविता कैसे जीवंत हो उठती है ...आज जाना !
कविता का ऐसा स्पंदनयुक्त...प्राणयुक्त ..जागृत होना.... सचमुच अवाक कर गया !
तुम्हें बधाई देने को भी जी चाहता है.... तुम पर मान भी होता है !...
ईश्वर मेरी प्यारी तूलिका को यूँ ही प्रदीप्त और जागृत रखे ....हर पल !
दी .. :) ...इत्ता सारा प्यार संभालूंगी कैसे ?..ज़रूरत पड़ेगी वहाँ भी सहारे की ..साथ रहिएगा ..
Deleteआप अपनी बातों से ..सुन्दर शब्दों से जो व्याख्या करती हैं न मेरी ...मैं डूब जाती हूँ उसमे ...ज्यादा स्नेह रखती हैं आप इसलिए ज्यादा तारीफ करती हैं ...यहाँ तक हाथ पकड़ खींच कर लाने वालों में आप ही तो हैं ...कैसे भूल सकती हूँ मैं आपके वो शब्द जो आपने पहली बार कहे थे ..."हम बहने हैं शुभ्रा शर्मा की ...अब तुम भी ..आओ न हमारे साथ.. मज़ा करेंगे "
हाथ पकड़ ले आयीं थीं आप इस नए संसार में मुझे ....यहाँ आ कर कई और लोग मिले ज़रूर ..पर आपका स्थान अब भी वहीं है मेरे दिल में ...सबसे ऊपर ...स्नेह की सबसे पहली पायदान पर ....मान आप देती हैं पर मुझे स्नेह चाहिए दी का ..
यहाँ क्लिक करके आज ज़रूर डालें एक नज़र
ReplyDeleteबहुत शुक्रिया यशवंत जी
Deleteब्लॉग जगत में आपका स्वागत है, आप एक बेहतरीन सदस्य हैं इस परिवार की, आपकी पहली पोस्ट गजब कर गई। आगे भी इंतजार रहेगा।
ReplyDeleteकुलवंत हैप्पी जी ...दुआ कीजिये कि आप सब की उम्मीदों पर खरी उतरूं.....नाउम्मीद ना करूँ
Deletesubah subah is "aawaz" ko sunnua kafi aanand de raha hai...na koi shor , room me mai akela, aur mera computer, us se aati aapki "aawaze"...kitna sundar eahsas...aha!!..love u Didi..!!
ReplyDeleteblog ki theme aur font bhi kafi sundar lag raha hai.!!
इस पोस्ट को रिकॉर्ड करते समय और पॉडकास्ट करते समय तुम भी थे कहीं ज़ेहन में .....तुम मेरा कोई प्रोग्राम सुनना चाहते थे न ...तो हाज़िर है तुम्हारी दीदी..स्नेह और शुभकामनाएं तुम्हारे लिए सदैव रहेंगी
Deleteब्लॉग की थीम और फॉण्ट ..साज सज्जा सब मेरी मित्र निधि टंडन की देन है ...शुक्रिया है उसका
यादों का सफर ...तुम्हारी आवाज़ के साथ ...बहुत सुहाना और बड़ा ही दिलकश है.
ReplyDeleteएक ख्वाब को पैराहन पहना लाई हूँ तो तेरी वजह से .........
Deleteख्वाब देखना मेरी फितरत है ....पूरे हों ज़रूरी नहीं ....मगर तेरा साथ ख्वाबों को पूरा करने की ताकत ज़रूर देता है....तेरी वजह से मेरा खुद में विश्वास कायम है... नज़र ए बद से बची रहें हमारी दोस्ती .....शुक्रिया है एक अच्छे और सच्चे दोस्त का..तेरा मेरी जान ..तेरी वजह से ये ब्लॉग अस्तित्व में आया है..... मेरी जिंदगी में भरोसा बन कर कायम रहना दोस्त
सोच में हूँ कि पहले शब्दों की बात करूँ या स्वर की ................
ReplyDeleteदोनों रेशम से मुलायम...............
हौले से छू गए मन को...........................
बहुत सुंदर तूलिका जी.
अनु
धन्यवाद अनु ...अब तुम्हारे कमेंट्स का इंतज़ार रहता है
Deleteतूलिका तुम्हे देखना सुनना सब आज ही हुआ ...आवाज की जादूगरी ...कितने रंगों को छू कर निकली मेरे दिल से ..लम्हा लम्हा ...मै बहुत करीब आ गई तुम्हारे ...काश पहले ही पुकारा होता ...
ReplyDeleteकरीब आयी हैं तो बने रहिएगा ...दूर जाना तकलीफ देगा ....अब पुकारती रहूंगी
Deleteबधाई बहना.....
ReplyDeleteसुंदर लेखन के साथ खूबसूरत आवाज़ की मालकिन है आप....
सुनने सराहने का शुक्रिया ...उससे बड़ा शुक्रिया बहना कहने का ..
Delete:)
आपकी यादों के पोस्टर पर सहेजे सभी यादों के पल को सुना, मधुर आवाज़ में सुन्दर रचना, बधाई
ReplyDeleteबहुत धन्यवाद
Deleteman ki aavaj ki ek aur phain hajir hai ------abhar
ReplyDeleteअजी शुक्रिया :)
Deleteबहुत खूबसूरत यादें और बड़ी प्यारी आवाज
ReplyDeleteवंदना जी आभार
Deleteसुन्दर प्रस्तुति
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